DRI के अधिकारियों के अनुसार, ये जांच इस आधार पर की गयी थी, कि इक्विपमेंट की वैल्यू को कम दिखा करके, कंपनी कस्टम ड्यूटी से बच रही है। ये जांच कंपनी और इसे कॉन्ट्रैक्ट निर्माताओं पर की गयी है। ये पढ़ें: क्या है Blockchain? किस तरह से बिटकॉइन से ये अलग है ? जानें सब कुछ अपनी जांच के दौरान DRI ने Xiaomi India के दफ्तर में छान-बीन की। विभाग को वहाँ ऐसे कुछ दस्तावेज़ मिले हैं, जो बताते हैं कि कंपनी यू.एस.ए में Qualcomm और बीजिंग में Xiaomi Mobile Software Co Ltd को रॉयल्टी और लाइसेंस फीस देता है। लेकिन यहां अपनी ट्रांसैक्शन वैल्यू में इस रॉयल्टी और लाइसेंस फीस को नहीं दिखाता, जिससे उनके प्रोडक्ट की वैल्यू और उस पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी कम हो जाती है। भारत के वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस रॉयल्टी और लाइसेंस फीस को, ट्रांसैक्शन वैल्यू में न जोड़कर, Xiaomi India ने कस्टम ड्यूटी (आयात शुल्क) को बचाया है और ये कस्टम एक्ट, 1962 सेक्शन 14 का उल्लंघन है। वहीँ Xiaomi का कहना है कि वो फिलहाल इस नोटिस को रिव्यु कर रहे हैं और हर तरह से सम्बंधित अथॉरिटी को सपोर्ट करेंगे। Xiaomi के एक अधिकारी के अनुसार, “वो इस बात को बेहद महत्व देते हैं कि उनके द्वारा किसी भी भारतीय क़ानून का उल्लंघन ना हो। फिलहाल वो इस नोटिस का रिव्यु कर रहे हैं और कंपनी जल्दी ही अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए, इस पर अपने विचार प्रकट करेगी। साथ ही हम सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ विभागों को पूरी तरह से सपोर्ट करेंगे। ये पढ़ें: अगर नहीं बना है वोटर कार्ड, तो इन आसान स्टेप्स के साथ ऑनलाइन करें शुरुआत वहीँ DRI के अनुसार, अप्रैल 2017 से जून 2020 के बीच Xiaomi टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 653 करोड़ की कस्टम ड्यूटी की चोरी की है, और इसी के लिए नोटिस भी जारी हो चुका है। इनकम टैक्स विभाग द्वारा चीनी कंपनी Oppo और उसकी सब-ब्रैंडों पर भी जांच जारी है। कंपनी ने पिछले सप्ताह कहा था कि दो चीनी कंपनियों पर 1000 करोड़ तक का जुर्माना लग सकता है। हालांकि दो कंपनियों का नाम नहीं पता , लेकिन ज़ाहिर है कि वो Oppo और Xiaomi ही हो सकते हैं।

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